THE 5-SECOND TRICK FOR HINDI STORY

The 5-Second Trick For hindi story

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उसके अम्मी – अब्बू ने बकरी के बच्चे का सौदा सलीम से कर दिया।

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भावी और मूर्ति को उनके अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया, जब मूर्ति अचानक उठे और चिल्लाए “मैं दो लड्डू से खुश हूं।” बाद में उन्होंने पूरी कहानी ग्रामीणों को बताई। तभी से मूर्ति को गांव में “लड्डू भिखारी” नाम दिया गया।

बच्चों की प्यारी गोरैया चिड़िया। यह सबके घर में प्यार से रहती है। जो दाना-पानी देता है, उसके घर तो मस्ती से रहती है। कूलर के पीछे चुनमुन का घोंसला है। उसके तीन बच्चे है , यह अभी उड़ना नहीं जानते।

यह कहानी पंचतंत्र या ईसप की सूत्र कथाओं की तरह है, लेकिन मौजूदा दौर में भोगवादी (हेडोनिस्ट या फिलिस्टिनिस्टिक कंज़्यूमरिज़्म) मानसिकता की वजह से अपनी स्वतंत्रता खोकर ग़ुलाम हो जाने की प्रवृत्ति पर यह एक स्मरणीय टिप्पणी है.

एक दिन रूपा बगीचे में खेल रही थी। तभी उसके पास एक तितली आ कर बैठी। इसके पंखों में हीरे जड़े हुए थे। तभी तितली उड़ चली और रूपा उसका पीछा करते करते जंगल में निकल गयी। कुछ देर बाद रूपा को एहसास हुआ की वह भटक गयी है। तभी तेज़ तूफ़ान शुरू हो गया और रूपा रोने लगी। अचानक से रूपा के पीछे लगे पीपल के पेड़ की डाली आगे आयी और उसने रूपा उठा कर कहा की उसके रहते रूपा को डरने की कोई ज़रुरत नहीं है। जब तक तूफ़ान थम नहीं गया, पीपल के पेड़ ने रूपा को अपने अंदर छिपाये रखा। तब तक रूपा को ढूंढते हुए सैनिक आ गए और उसे अपने साथ महल वापस ले गए।

Image: Courtesy Amazon This can be a imagined-provoking novel composed by Kamleshwar, a renowned Indian author. At first revealed in Hindi, the novel delves in to the sophisticated material of India’s social and political landscape during the tumultuous duration of partition in 1947. Kamleshwar weaves a narrative that explores the impact of partition over the lives of regular people today and also the deep-rooted scars it still best hindi story left within the country’s collective psyche.

Impression: Courtesy Amazon Penned by Agyeya, the pen identify of Satchidananda Hirananda Vatsyayan, this Hindi fiction guide was originally printed in 1940. The novel is usually a groundbreaking function and is considered a landmark in Hindi literature. Agyeya, an influential figure inside the Chhayavaad movement, delivers to existence the tumultuous journey of the protagonist, Shekhar, through many phases of his life. The novel explores Shekhar’s evolution from a carefree and idealistic youth to a experienced unique grappling While using the complexities of life.

Society From ‘long term faking’ to ‘adore bombing’: The way to recognise crimson flags in interactions

उदाहरण के लिए इस कहानी का पहला पैरा ही देखिए :

दोनों ने सावित्री की मदद करने की ठानी। सांप ने रस्सी से जुड़ कर रस्सी को लम्बा बना दिया और मेंढक घड़े में इस तरह बैठ गया की घड़े छेद बंद हो गया। सावित्री पानी निकाल कर ख़ुशी ख़ुशी घर चली गई।

जंगल में सुंदर-सुंदर हिरण रहा करते थे। उसमें एक सुरीली नाम की हिरनी थी। उसकी बेटी मृगनैनी अभी पांच महीने की थी। मृगनैनी अपनी मां के साथ जंगल में घूमा करती थी।

वही साहित्यिक 'हिंदी' जो हिंदी के नाम पर शिक्षण संस्थानों में प्राइमरी से लेकर विश्वविद्यालयों तक लागू है और जिसमें लाखों हिंदी भाषी बच्चे परीक्षाओं में फ़ेल हो जाते हैं.

अजनार के जंगल में दो बलशाली शेर सूरसिंह और सिंहराज रहते थे। सुरसिंह अब बूढ़ा हो चला था। अब वह अधिक शिकार नहीं कर पाता था।

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